ऋषि वेदव्यास कृत
श्रीमद् देवी भागवत पुराण, तीसरा स्कंद
।। ॐ श्री गुरुवे नमः ।।
।।ॐ श्री गणेशाय नमः ।।
जनमेजय का श्री व्यास जी से प्रधान देवता तथा ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति एवं स्वरुप के सम्बन्ध में प्रश्न , ब्रह्माजी के द्वारा नारद जी के प्रति भगवती आद्या शक्ति के प्रभाव का वर्णन , श्री देवी जी के द्वारा दिए हुए विमान पर श्री ब्रह्मा जी , विष्णु , महेश का विविध लोक में गमन तथा वहां के विलक्षण दृश्यों को देखते हुए अंत में भगवती के दिव्य द्वीप में पहुंचना ।
Brahma Vishnu and Shivji visit many divine dimensions and meet Devi Adhashakti for the first time. Travel on a divine spacecraft.
जनमेजय
ब्रह्मा जी का भगवती के चरण नख में समस्त देवता व लोक आदि को देखना तथा भगवान विष्णु , भगवान शंकर तथा ब्रह्मा जी द्वारा भगवती जगदम्बिका की स्तुति।
The surprising incident of meeting Jagdambika. Bhrama, Vishu, and Shivji are mesmerized by her opulence.
जगदम्बिका के द्वारा अपने स्वरुप का वर्णन तथा ब्रह्मा, शंकर, तथा विष्णु के लिए महासरस्वती, महाकाली, व महालक्ष्मी अर्पण कर के उनको कार्य करने का आदेश ।
As Vishnu urges Brahma and Shivji to approach Adhashakti Jagdambika , they turn into women themselves. Listen to what happens next
Jagdambika answers Tridevs questions and describes herself. She offers Mahalakshmi, Mahasarasvati, and Mahakali to Vishnu ji, Brahmaji, and Shivji as their shaktis.
नारद जी के पूछने पर ब्रह्मा जी द्वारा परमात्मा के स्थूल और सुक्ष्म स्वरुप का तथा त्रिविध सृष्टि का तथा गुणादि का वर्णन ।
Narad wonders who is the formless shapeless omniscient Parbhrama and Bhrama describes the form and formlessness of Parmatma - NOTE this is where the science of creation is described.
भगवती देवी की कृपा से मुर्ख उतथ्य के महान पंडित सत्यव्रत ब्राह्मण बन जाने की कथा का आरम्भ , अनायास सारस्वत मंत्र के उच्चारण से भगवती की महती कृपा
Intellectually challenged Uthatya becomes a famous Brahmin Satyavrat by merely reciting Devi's mool mantra "Aim".
तीन प्रकार के यज्ञ, मानस यज्ञ की महिमा जनमेजय से देवी यज्ञ करने की व्यास जी के द्वारा प्रेरणा।
Vyasji explains three types of yagyas and the importance of manas yagya, Vyasji Inspire Janmejay to perform the same yagya
श्री विष्णु जी के द्वारा अम्बिका यज्ञ और आकाशवाणी ।
Vishnuji performed Ambika yagya and akashvani
जनमेजय के प्रश्न करने पर व्यासजी के द्वारा देवी की महिमा का कथन , राजा ध्रुवसंधि की कथा, अपने अपने दौहित्रों के पक्ष में राजा युधाजित और वीरसेन का विवाद एवं उनके बीच घमासान युद्ध , वीरसेन की मृत्यु , मनोरमा का पुत्र सुदर्शन को ले कर मंत्री विद्द्ल के साथ मुनि भरद्वाज के आश्रम जाना और मुनि के द्वारा रानी को अभय दान।
Janmejay is curious about the nature of bhagvati jagdambika. Vyas ji narrates the story of Ayodhya prince Sudarshan.
राजकुमार सुदर्शन को मारने राजा युधाजित का मुनिभरद्वाज के आश्रम पहुंचना , बलपूर्वक रानी को ले जाने की बात कहना तथा मुनि द्वारा रहस्यमयी उत्तर , भरद्वाज की बात सुन कर मंत्री द्वारा राजा से लौट चलने का सुझाव , तथा काम बीज के प्रभाव से राजकुमार सुदर्शन को देवी की कृपा प्राप्त होना।
Yudhajit aims for the prince Sudarshan. Manorama goes to Chitrakoot to Rishi Bhardhwaj Ashram.
राजकुमारी शशिकला का मन ही मन सुदर्शन का वरण करना , काशिराज रानी का कन्या को समझाना , कन्या का राजकुमार सुदर्शन से विवाह करने का निश्चय प्रकट करना , सुदर्शन का तथा अन्य राजाओं का स्वयंवर में पहुंचना।
Bharadvaj Rishi protects Sudarshan and Manorama. The story of Valmiki Rishi.
राजकुमार सुदर्शन को देवी जगदम्बिका का स्वप्न में दर्शन .
Rajkumar Sudarshan meets Devi Jagdambika in a dream. Importance of Klim mantra. Kashi Rajkumari Sukanya falls in love and the message from Bhagvati Jagdambika
शशिकला के स्वयंवर में राजाओं का परस्पर विवाद , शशिकला का राजकुमार सुदर्शन से विवाह करने का पूर्ण निश्चय , राजाओं के कोलाहल करने पर सुबाहु का शशिकला से सम्मति लेना।
Sashikala stays firm on her decision while the invited Kings and princess cause a riot. Raja Subahu seeks agreement with Sashikala his daughter .
स्वयंवर के कारण राजाओ के बीच कलह , राजा युधजित के रोष भरे संवाद, शशिकला का संकल्प.
Swamvar of Shashikala causes a roit among the kings and princesses , aggressive words of Raj Yudhajit, and the firm decision of Shashikala .
शशिकला व सुदर्शन का विवाह, राजाओं द्वारा आक्रमण, क्लीम बीज मंत्र द्वारा देवी के दर्शन, राजा युधजित व शत्रुजित का अंत |
Shashikala weds Subahu, Attack by various princeses , importance of Klim beej mantra , Devi appears before Subahu, the end of Raja Yudhajit and Shatrujit .
राजा सुबाहु को देवी का वरदान
Devi blesses Raja Subahu
व्यास जी द्वारा देवी व्रत का वर्णन
Vyas ji explain how to perform Navrati Vrat for Jagdambika
नवरात्रि में कन्या पूजन |
Worship of young girls during navratri vrat.
श्री रामचंद्रजी का चरित्र, व्याकुल हुए राम को लक्ष्मण का सत्य वचन तथा श्री रामचंद्र जी के विवेक में वृद्धि होना |
Shree Ramchandra ji's character , Laxman advices Ram and calms him enough that he regains his rational thought and discrimination.
सीता हरण और नारादजी द्वारा देवी व्रत का सुझाव संकट के समय श्री रामचंद्र व श्री लक्ष्मण जी के द्वारा देवी का नवरात्रि व्रत , दशमी को सीता के लिए लंका की ओर प्रस्थान करना |
Abduction of Sita , Narad's advice for Devis vrat, Concerned and troubled Shree Ram & Laxman perform Navratri vrat and on tenth day they leave for Lanka ,
।।ॐ दुम दुर्गायै नमः ।।
।। ॐ नमः शिवाय ।।
श्री देवी भाग वत पुराण ४ स्कन्द
References: The reading is from the classical literature "Shreemad Devi Bhagwat Puran by Ved Vyas" Published by Geetapress, Gorakhpur, for purchasing the book in hindi or other questions please contact: _____________________.